बुध में बर्फ का रहस्य क्या है? | Amazing Facts about Mercury in Hindi
बुध में बर्फ
का रहस्य क्या
है?
Amazing Facts about
Mercury in Hindi
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Mercury सौरमंडल का सबसे छोटा और सूरजसे सबसे नजदीकी ग्रह है। सूरज से इतना नजदीक होने के कारन
Mercury या फिर बुध गृह को साँझ के समय सही तरीके से देखा जा सकता है। सूरज के चारो और हर दूसरे चक्कर घूमने के बाद Mercury अपने Axis में सिर्फ ३ बार ही घूम पाता है। अपने Axis मर इतने धीरे घूमने कारन साल 1965 तक बैज्ञानिको को यह लगता था की Mercury का एक तरफ हमेशा सूरज के और रहता है। Mercury को मानव इतिहास में प्राचीन काल से मन जाता आरहा है. जो करीब 3000 साल बताया जाता है। Mercury ग्रह का नाम रोमन देवताओ के दूत Mercury पे रखा गया है। हर एक सताब्दी में Mercury को सिर्फ 13 बार सूरज के सामने से गुजरता हुआ पृथ्वी से देखा जा सकता है। इस घटना को Transit कहा जाता है।
Mercury के बारेमे ऐसे औरभी कई मजेदार बातें आज मैं आपको बताने वाला हूँ -
1. Mercury का व्यास 4879 Km है और इसका सामूहिक (Mass) करीब 3.30 X 1023 Kg बताया जाता है। जो प्रिवी का 5. 5 प्रतिशत है। Mercury का आतंरिक संरचना crust, mantle और core जइसे तीन हिस्सों में बता हुआ है। Crust की चौड़ाई करीब 100 से 300 किलोमीटर तक है। सतह को Crust का हिस्सा माना गया है, बोहोतही कठिन और नाजुक बताया जाता है। Mercury का mantle करीब 600 kilometer का चौड़ा है जो बोहोती पतला माना गया है। असल में सौरमंडल के गठन के समय एक बड़ा गृहाणू (Planetesimal) का Mercury के साथ टकराने के बाद Mercury के आवरण का ज्यादातर हिस्सा टुटके महाकाश में विलीन हो गया था।
2. Mariner - 10 नाम के स्पेस क्राफ्ट से पहली बार Mercury के आवरण का इतना पाटला होनेका सही कारन ढूंढा जा सका है। Mercury का core वाला हिस्सा खोज के समय से लेकर हमेशा से ही रहस्यमय रहा है। लेकिन वैज्ञानिको के द्वारा भेजा गया रेडियो तरंगो के सहारे इस रहस्य का उद्धघाटन किआ जा सका है। Core का हिस्सा Iron और Silicate के ज्यासे धातुओं से बना हुआ है। Mercury का core इनसब धातुओं से भरे होने के कारन अन्य ग्रहो के मुकावले सबसे ज्यादा घनत्वा वाला Core बताया जाता है। Mercury के Core भाग का व्यास करीब 3600 km बताया जाता है। जो करीब खुदके आकार का 55 प्रतिशत है।
3. सन 1974 तक Mercury का सतह वैज्ञानिको के समक्ष एक रहस्य से काम नहीं था। जो 1974 में Mariner 10 नामक स्पेस क्राफ्ट के द्वारा खिंचा गया Mercury का आधे हिस्से का तस्वीर से हल किआ गया। उन खींचे तस्वीरों से Mercury के सतह के तिन विशेस्तएओ के बारे मैं पता चला। पहले भाग में सतह के ऊपर फैले हुए गड्ढो के बारेमे पता लगा जिनका गठन करोड़ो सालों से हुआ है। इनमेसे सबसे बड़ा गड्ढे का नाम Caloris Basin बताया जाता है। जिसका व्यास करीब 1550 Km है। दूसरे भाग को गड्ढो के बिच बने मैदानी जगह को कहा गया है। मैदानी भागो का गठन हजारो लाखो साल पहले निकले लावा के द्वारा हुआ है। तीसरा और आखरी भाग चट्टानों का बताया जाता है. जिनकी लम्बाई 10 से हजारों किलोमीटर तक है और ऊंचाई 1 से 2 किलोमीटर तक बताया जाता है। इस तीसरे भाग में एक मजेदार बात छिपी हुई है - असल में दोस्तों पृथ्वीमे जो चट्टानें दिखती है वो ज्यादातर Tectonic Plates के स्थानांतरण के चलते होता है। लेकिन Mercury में जो चट्टानें दीखता है वह Core भाग के सिकुड़ने के वजह से हो रहा है। इस वजह से Mercury का सिकुड़ना सालो से चल रहा है और Mercury का व्यास 1.5 तक घट चूका है।
4. अब बात करते है Mercury के वातावरण के बारेमे - जो करीब ना के बराबर बताया जाता है। इसको आप दो हिस्सों में समझ सकते है - a ) - Mercury में Gravity बहुत काम मौहूद है जिसको पृथ्वी का सिर्फ 38 प्रतिशत बताया जाता है। इतना काम gravity होने के कारन अपने वातावरन कइ ज्यादातर गैस को पकड़के रखने में नाकाम रहता है। b) - सूरज से Mercury का इतना पास होने के कारन सूरज में नियमित परमाणु बंकर फटने से उत्पन्न सौर हवाए Mercury के ज्यादातर वातावरण में पाया जाना। हलाकि NASA के विज्ञानिको के मुताबिक कुछ और अन्य गैस का मिश्रण पाया गया। ज्यसे की - 42 प्रतिशत ऑक्सीजन, 29 प्रतिशत sodium , 22 प्रतिशत hydrogen , 6 प्रतिशत helium, 5 प्रतिशत पोटैशियम और अन्य कई गैस का प्रमाण मिले। वातावरण के इसी अद्वुत विशेस्तए के कारन Mercury का तापमात्रा कभी -180 डेग्रे सेल्सियस तक पोहोंच जाता है। तो कभी 430 डिग्री सेल्सियस जयसे आग उगलने वाले गर्मी तक।
5. दूसरे ग्रहो के मुकाबले Mercury का कक्षापथ अस्थिर बताया जाता है। अपने कक्षापथ में घूमने के दौरान कभी सुरजके नजदीक तो कभी थोड़ा सा दूर चला जाता है। सौरमंडल में Mercury एक लौटा ऐसा ग्रह है जिसका एक नियमित कक्षापथ नहीं है। इसका कारन सूरज के द्वारा उत्पन्न Tidal bulge को बताया जाता है। जिसके चलते Mercury और सूरज की दूरी 40 से 60 मिलियन किलोमीटर तक काम ज्यादा हो जाता है। हलाकि कक्षापथ के बारेमे सठिक जानकारी देने में Newton की Mechanics वाली थ्योरी को जिम्मेदार ठहराया गया है। इस अद्वुत कक्षापथ के चलते मरकरी को सूरज का एक चक्कर काटने में सिर्फ 88 दिन का समय लगता है। लेकिन अपने Axis में घूमने में करीब 176 पृथ्वी के पारबर दिन का समय लग जाता है।
6. अपना आकार छोटा होने के बावजूद Mercury का अंदर का भाग जिसे हम core कहते है - वहां तरल पदार्थो का पयजना वैज्ञानिको को अभीतक हैरानी में रखा हुआ है। सबके मुताबिक सुरजके इतने करीब होने के वजह से अबतक सब तरल पदार्थ सुखके कठिन पदार्थ में परिवर्तित हो जाना था। लेकिन core में पैदा हुआ Magnetic field सबसे चर्चित बना हुआ है। Mariner 10 स्पेसक्राफ्ट के द्वारा नपे जाने पर यह पता मांगा के - Mercury का Magnetic field पृत्वी के मुकावले सिर्फ 1. 1 प्रतिशत है. और Mariner 10 एबम Messenger स्पेसक्राफ्ट इसकी क्षमता और आकृति, के बारेमे धरना दे चूका है। वैज्ञानिको के मुताबिक कई हजारो करोड़ो साल पहले यह Magnetic field पृथ्वी के सामान हुआ करता था। जो धीरे धीरे घटता गया। 2008 में Messenger स्पेसक्राफ्ट के द्वारा Mercury के Magnetic field के क्षमता के बारेमे पता लगा जो सूरज के तेज अंधिओकोभी दूसरे तरफ मोड़ने में सक्षम है। इसको हम Magnetosphere बोल सकते हैं।
7. Mercury को हर 7 बार्स में ेखि बार देखा जा सकता है जब वह पृथ्वी के कक्षापथ के समान्तराल होने में Mercury सूरज के सामने आता है।
8. सूरज के इस्त्ने नजदीक होने के कारन Mercury के सतह में बर्फ का ना मिलना स्वभाभिक है। लेकिन वैज्ञानिको को हालही में कुछ कुछ ऐसे गड्ढे मिले जहाँ बर्फ जमा रहने का प्रमाण भी मिला। इसमें गौर करने वाली बात है की यहाँ अबतक सूरज की रौशनी नहीं पोहोंच पाई है। इन गड्ढो में छोटे छोटे Micro Organisms मिल सकता है ऐसा वैज्ञानिको का मानना है।
9. मरकरी के कटाई करने के दौरान इसके पीछे एक हल्कासा पूँछ दिखाई देता है। यह पूँछ ज्यासा आकार असल में Sodium के परमाणु से बना हुआ है।
10. महाकाश में चोदे गया Hubble Telescope केवल Mercury काही अध्यन सही तरीके से नहीं करपाता है। इसका कारन Mercury का सूरज के नजदीक होने को बताया जाता है। जो सूरज के तेज़ रौशनी के कारन टेलिस्कोप का इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स को क्षति पोहोंचा सकता है।
11. मरकरी का आजतक कोईभी चन्द्रमा या फिर चारो और फैले हुए रिंग का प्रमाण नहीं मिल पाया है।
12. सौरमंडल के किसीभी ग्रहोंके मुकाबले mercury सूरज के तरफ सबसे कम झुका हुआ है। जो करीब 1/30 बताया जाता है। इसके वजह से Mercury या फिर बुध ग्रह में मोई भी ऋतुओं का प्रमाण नहीं मिल पाया है।
13. एल्बर्ट आइंस्टीन के Theory of General Relativity के प्रमाण देने में Mercury का कक्षापथ एक अहम् भूमिका निभाता है।
14. सौरमंडल के सभी ग्रहो मेसे Mercury में सबसे ज्यादा गड्ढा पाया गया है।
15. Mercury के करीब अबतक सिर्फ दो स्पेसक्राफ्ट mariner 10 और Messenger पोहोंच पाया है। यूरोपियन स्पेस एजेंसी के द्वारा हालही में 2015 को छोड़ा गया Bepi Colombo स्पेसक्राफ्ट 2019 तक Mercury के करीब पोहोंच सकता है। इसके बाद शायद भबिष्य में और कई हैरान करने वाली बात Mercury के बारेमे पता लग पाए।
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